Shayari/शायरी

शायरी

शायरी, शेर-ओ-शायरी या सुख़न भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित एक कविता का रूप हैं जिसमें उर्दू-हिन्दी भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं। शायरी में संस्कृत, फ़ारसी, अरबी और तुर्की भाषाओँ के मूल शब्दों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है। शायरी लिखने वाले कवि को शायर या सुख़नवर कहा जाता है।



ज़रा मुसीबतों का दौर क्या आया,
उसने अपना अंदाज़ ही बदल दिया।
मैं उलझनों को सुलझाने लगा,
और उसने इंसान ही बदल दिया।
©सचिन_रावत


लिखे थे जो खत हमने उसकी फरियाद में।
आज भी संभाले रखे है वो
हमने अपनी हिज़्र की किताब में।
©सचिन_रावत

  
गम-ए-हिज़रत एक सज़ा है।
जितना तुमने देखा नहीं,
उससे ज़्यादा हमने लिखा है।
©सचिन_रावत

 

बिछड़े जो तुमसे तो एहसास हुआ,
की टूट के बिखर जाने का गम क्या होता है|
जुदा तो तुम भी हुए हो हमसे,
क्या तुम्हे भी इस तड़प का एहसास होता है|
©सचिन_रावत


उनसे मिला सिर्फ दर्द हमे, उनसे मिला तो वो ही सही
मगर उससे शायरी में बदलना भी एक गुनाह है|
हम ठहरे लफ़्ज़ों क मोहताज़,
और उन्हें हमारे लफ़्ज़ों का मतलब भी पता है|
©सचिन_रावत

 

सादगी थी जो कभी उनकी आँखों में,
वो कहीं खो सी गयी है|
गुमसुम सी रहने लगी हो आजकल,
आखिर माजरा क्या है|
तुम्हारे ख़्वाबों में आजकल कहि कोई और तो नहीं है|
©सचिन_रावत

मासूमियत भरी निगाहों में हिमस्खलन हो गया|
वो शख्स अपने ही ध्यान में मनन हो गया|
रखा था जिससे सीने से लगा के
वो मेरे सामने तो है,
मगर वो शख्स नजाने कहा खो गया|
©सचिन_रावत

 

यह इस दुनिया का दस्तूर है,
की कुछ पाने क लिए, कुछ खोना पड़ता है|
चैन से सोने क लिए भी,
हज़ारों रातों को रोना पड़ता है|
©सचिन_रावत

हमें तो अपनों ने लूटा है,
हम गैरों से क्या गिला करें|
संभाला जिसके दिल को हमने
वही हमे तोड़ के जा रहे हैं,
अब हम शिखवा भी तो किससे करें|
©सचिन_रावत

 

देखा था एक रात का ख़्वाब,
जिसका कोई सवेरा न हुआ।
इश्क़ तो मुझे भी हुआ,
मगर वो कभी मेरा ना हुआ।
©सचिन_रावत

 

बखूबी जायज़ है तेरा यूं इतरा के चलना,
इश्क़ की शिफारिश में हमारा उतरना।
इक जवाब के इंतज़ार में बेहाल हैं जनाब,
इश्क ना हो तो ना सही, इनकार कर दीजिएगा,
मगर खिलौना समझ के खिलवाड़ न करना।
©सचिन_रावत

 

हाथ थाम के इश्क़ से रूबरू कराया था जिसको,
वही गैरों की बाहों में आज उसे निभा रहा है।
महौबत की वफाओं का एहसास कराया था जिसको,
वही औरों के साथ उसे आज निभा रहा है।
©सचिन_रावत


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